मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । गवालिन मस्तानी, गवालिन दीवानी दानिन महं तुम सम कोउ https://hindubhajan.in/durga-chalisa/